कान्हा कहा हो श्याम रे

रास रचैया कृष्ण कन्हैया चुप गए हो किस ओर,
मुरली वाले बंसी बजैया ढूँढू मैं चितचोर।।

नदिया किनारे कही सांवरे की बंसी बाजी,
राधा रानी व्याकुल खाड़ी सारा दिन रहें ताकी
अधरो ने घोली धुन चित श्याम रंग में गम ,
कान्हा कहा हो श्याम रे।।

नैनो से चुपके हो पर मन में रहते हो,
सामने आओ सांवरे हाए कान्हा कहा हो श्याम रे।।

जग की माया, चोर चाद के सांवरे मिलने दौड़ी चली आई,
लोग पुकारे बनवारी मुझको पाने को पागल हूं तेरी परछाई
तेरे खाड़ी गुमसुम चित प्रेम रंग में गम,
कान्हा कहा हो श्याम रे।।

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