सदा सुहागन
घी को दीपक चास भवानी
आरती तेरी गाउंगी
सदा सुहागन को वर
माता थारे से मैं पाऊँगी
सासु म्हारी हो पटरानी
ससुरा जी हो राजा जी
नन्दोई हो होये बड़भागान
नन्दोई हो बड़ी भागी जी
राजकुँअर सो देवर गोरा माता थासे मांगू
सदा सुहागन दो वर माता थे से मैं पाऊँगी
म्हाने ऐसो वर दीजो माता
मेहँदी हाथ रची रहे
सदा बिंदिया चमकती रहे
मांग सिन्दूरी सजी रही
शिव गोरा सी जोड़ी होव
म्हारी या मैं चहु
सदा सुहागन दो वर माता थे से मैं पाऊँगी
हे जगजननी हे जगदम्बा जिम्मेदरी थारी है
केसो वर देसो वर म्हाने मैया इच्छा थारी है
शिखा कहे मैं लाल चुनरी आज ओढ़ाउंगी
सदा सुहागन दो वर माता थे से मैं पाऊँगी
सदा सुहागन को वर
माता थारे से मैं पाऊँगी