इस जनम में ना मिले, पर भव में मिलता है,
अपने अपने कर्मो का, फल सबको मिलता है।।
है वो भाई दोनों ही दुनिया के मेले में,
एक दर दर का भिखारी, दूजा महलो में,
एक से पैदा हुए, नहीं भाग्य मिलता है
अपने अपने कर्मो का, फल सबको मिलता है।।
एक है पत्थर की मूरत पूजा करते है
दूजा फ़र्ज़ में ज्यादा जिसमे हम चलते है
पर्वत और चट्टान से एक साथ निकलते है
अपने अपने कर्मो का, फल सबको मिलता है।।
सीप दो है एक सी किश्मत निराली है,
एक में मोती भरा दूजा खाली है,
एक ही सागर में जनम मिलता है,
अपने अपने कर्मो का, फल सबको मिलता है।।
फूल एक मंदिर में प्रभु के चरणों में चढ़ता है,
दूसरा गिर कर पड़ा है ख़ाक में मिलता है,
फूल वह तो एक ही चमन में खिलता है,
अपने अपने कर्मो का, फल सबको मिलता है।।
जैसी करनी वैसी भरनी कर्मा शुभ करना,
मोल न लगता खजाना पुण्य का भरना,
नेकिया करने से ही तो स्वर्ग मिलता है,
अपने अपने कर्मो का, फल सबको मिलता है।।
इस जनम में ना मिले, पर भव में मिलता है,
अपने अपने कर्मो का, फल सबको मिलता है।।