थे झूलो री म्हारी मायड़ तो मन हरषे

दादी जी झूलो तो घालयो
थे झूलो री थे झूलो री
थे झूलो री म्हारी मायड़ तो मन हरषे।।

टाबरिया थाने तो रिझावे
टाबरिया थाने तो रिझावे
थे आओ तो म्हारी दादी तो मन हरषे।।

रंग बिरंगा फुलड़ा तो मैं लायी
थे झूलो री थे झूलो री
थे झूलो री म्हारी मायड़ तो मन हरषे।।

थारे बिना कोई जी म्हारो
म्हे थाने बुलावा दादी
म्हे थाने बुलावा दादी तो मन हरषे।।

उत्सव तो थारो दादी आयो
उत्सव तो थारो दादी आयो
म्हारे मन को म्हारे मन को
म्हारे मन को मयूरो नाचे थाने देख दादी।।

झुंझनू तो पैदल मैं अस्य
ओ दादी थे तो आओ म्हारो मन हरषे
थे आओ तो म्हारी दादी तो मन हरषे
थे आओ तो म्हारी मयान तो मन हरषे।।

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