आया आया सांवरिया है बन के चोर

आया आया सांवरिया है बन के चोर
आया आया सांवरिया है बन के चोर
समझ ना पाऊ इसे कैसे भगाऊं
डर है कही कोई और देखे न और
डर गयी मैं मर गयी मैं ।।

आया आया सांवरिया है बन के चोर
आया आया सांवरिया है बन के चोर।।

खड़ा है वो नीचे खिड़की के पीछे
उंगली है खींचे डर से मैं हो गयी बावरी
गोरी से मैं हो गयी सांवरी
मन में तो है न की ये रात ना बीते
मन में तो है न देखो की ये रात ना बीते
बांधलु रात ना होने दूँ भोर
डर है कही कोई और देखे न और
डर गयी मैं मर गयी मैं ।।

आया आया सांवरिया है बन के चोर
आया आया सांवरिया है बन के चोर ।।

उसे ना जाने दो ना हाथ छुड़ाने दो
मन ये कहता है यही पे हमेशा वो रहे
तन मन मेरा ये कहे
मन में समाये और मनवा चुराए
डर गयी मैं मर गयी मैं ।।

उसे ना जाने दो ना हाथ छुड़ाने दो
मन ये कहता है यही पे हमेशा वो रहे
तन मन मेरा ये कहे
मन में समाये और मनवा चुराए
नाचू मैं सारी रात बन जाऊं मोर
की डर गयी मैं मर गयी मैं ।।

आया आया सांवरिया है बन के चोर
आया आया सांवरिया है बन के चोर ।।

नैना मतवारे कारे कजरारे
खींचती सी जाऊ सोच ना पाऊ
दिल को चुराने आया है शायद
जेवर चुराने आता तो मचा देती शोर
डर गयी मैं मर गयी मैं
आया आया सांवरिया है बन के चोर
आया आया सांवरिया है बन के चोर ।।

सिंगर – भावना जी।

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