बड़ी आस लगी तुमसे तेरी और निहारूं मैं

बड़ी आस लगी तुमसे तेरी और निहारूं मैं
दादी मेरी दादी दादी ही पुकारूँ मैं
बड़ी आस लगी तुमसे तेरी और निहारूं मैं।।

कितना कुछ कहना है ये सोच के आता हूँ
तुम्हे सामने पा कर के सब भूल ही जाता हूँ
मेरे आंसू समझती हो कैसे ये नकारु मैं
दादी मेरी दादी दादी ही पुकारूँ मैं
बड़ी आस लगी तुमसे तेरी और निहारूं मैं।।

सबने देखा मुझको हर पल मुस्काता हूँ
वो क्या जाने हँसके तकलीफ छिपाता हूँ
चाहे जितना रो लूँ चाहे जितना हारूँ
दादी मेरी दादी दादी ही पुकारूँ मैं
बड़ी आस लगी तुमसे तेरी और निहारूं मैं।।

अँधेरे जीवन में तू लायी उजाला है
जब जब भी सचिन भटका तूने ही संभाला है
ज्योति संग सेवा में तेरे चरण पखारूँ में
दादी मेरी दादी दादी ही पुकारूँ मैं
बड़ी आस लगी तुमसे तेरी और निहारूं मैं।।

https://www.youtube.com/watch?v=drVodp_CG2s

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