तुम बसी हो कण कण अन्दर माँ हम ढूंढते रह गये मंदिर में
तुम बसी हो कण कण अन्दर माँतुम बसी हो कण कण अन्दर माँहम ढूंढते रह गये मंदिर में।। हम मूढमति हम अनजानेमाँ सार तुम्हारा क्या जाने।। तुम बसी हो कण-कण अन्दर माँहम ढूंढते रह गये मंदिर में।। तेरी माया को न जान सकेतुझको न कभी पहचान सकेहम मोह की निद्रा सोये रहेमाँ इधर उधर ही … Read more