दादी जी के मंदरिये मोर नाचे

दादी जी के मंदरिये मोर नाचे,
दादी जी के मंदरिये मोर नाचे,
घन घन घंटा शंख नागदा,
दर पे नौबत बाजे रे म्हारे नौबत बाजे,
दर पे नौबत बाजे रे म्हारे नौबत बाजे।।

दादर मोर पापहीये बोले मंदरिये के माये,
देख देख भक्ता की श्रद्धा दादी जी मुस्काये।।

बैठो सोचे काई छाले भक्त के सागे,
घना घना घंटा शंख नागदा,
दर पे नौबत बाजे रे म्हारे नौबत बाजे।।

झुंझनू की सेठानी की है दुनिया में मशहूर,
झुंझनू की सेठानी की है दुनिया में मशहूर,
एके जो भी जावे ओझू जावेलु जरूर,
ओ वोटो दादी अतड़िये में राते जागे,
घना घना घंटा शंख नागदा,
दर पे नौबत बाजे रे म्हारे नौबत बाजे।।

हर्ष विराजे सतमांड में सतियारी सर मौर,
दादी जी के हाथा माहि निज भक्त की डोर,
मेरो आयो है बुलावे मैंने ऐ यान लागे,
घना घना घंटा शंख नगाड़ा,
दर पे नौबत बाजे रे म्हारे नौबत बाजे।।

दादी जी के मंदरिये मोर नाचे,
दादी जी के मंदरिये मोर नाचे,
घन घन घंटा शंख नागदा,
दर पे नौबत बाजे रे म्हारे नौबत बाजे,
दर पे नौबत बाजे रे म्हारे नौबत बाजे।।

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