एक दिल मेरा जिसे मनमोहना सौ सौ बारी चोरी करता

ऐसा सज धज बैठा मेरा साँवरा,
नैनों से इशारे कोई करता,
एक दिल मेरा जिसे मनमोहना,
सौ सौ बारी चोरी करता।।

एक दिल मेरा जिसे मनमोहना
सौ सौ बारी चोरी करता,
सौ सौ बारी चोरी करता।।

ओ पता नहीं उसे कौनसा खुमार चढ़ता है,
श्याम का दीदार जो एक बार करता है,
बन के दीवाना वो दर पे नाचता फिरे,
ऐसा जादू साँवलिया सरकार करता है।।

श्याम प्यारे के जैसा चितचोर कोई नही,
मैं दीवाना हुआ मेरा कसूर कोई नही।।

चाहे कितना भी देखु मेरे श्याम को,
देख देख दिल नही भरदा।।

एक दिल मेरा जिसे मनमोहना
सौ सौ बारी चोरी करता,
सौ सौ बारी चोरी करता।।

सर मोर मुकुटधारी,माथे पे टीका है,
मेरे श्याम धनी के आगे तो,
चंदा भी फीका है।।

अधरों पे मुरली है,गल मोतियन माला है,
बैठा बैठा मुस्काये, देखो खाटुवाला है।।

लट काली घुँघराली, बाली पीछे लटके,
लागे नज़र ना “गोलू”, तेरे जाए सदके।।

डर लगता नज़र लग जाए ना,
रखा करो बाबा थोड़ा पर्दा।।

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