वृन्दावन की कुञ्ज गलिन में कान्हा कैसे आऊं मैं
जनम जनम का प्यासा हूँ अब कैसे प्यास बुझाऊं मैं
ऐसी युकिती मोहे बता जो भव सागर तर जाऊं मैं
बीच फांसी मझधार ये नैया कैसे पार लगाऊं मैं ।।
ना कान्हा मोहे अब ना सत्ता रे
प्रेम गली का मुझको पता दे
तेरी यादों से मिले आसरा
एक मैं एक दिल मेरा है बावरा
सांवरे तेरे इश्क़ में मणि सांवरा
एक मैं एक दिल मेरा है बावरा ।।
तेरी याद में खोया हूँ
तेरी याद में रोया हूँ
मिल जाओ अब ऐ गिरधर
प्रेम नींद में सोया हूँ
ओ याद तेरी में ऐसे खोये
प्यासे नैन चाहे हैं तोहे
पल पल स्वाँसे टूट रही
बस में नहीं अब कुछ भी मोरे
सांवरे ………हो आके नज़रों से नज़रें मिला
एक मैं एक दिल मेरा है बावरा ।।
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मुरली बजा के मोहना क्यों कर लिया किनारा
हो मैंने छोड़ दिया ये जग सारा
अब कहाँ पे तेरा ठिकाना है
तर जाऊं या मर जाऊं मैं
बस एक तुझी को पाना है
मैंने छोड़ दिया ये जग सारा
अब कहाँ पे तेरा ठिकाना है
तर जाऊं या मर जाऊं मैं
बस एक तुझी को पाना हैं
सांवरे ………
हो आके चरणों से मुझको लगा
एक मैं एक दिल मेरा है बावरा ।।
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