जब जब हमको याद आते हो मोहन आधी रात के बाद

जब जब हमको याद आते हो
मोहन आधी रात के बाद
सूना सूना सा लगता है
आँगन आधी रात के बाद

ऐरी सखी तू पीली क्यों है
हाथ की चुडिया ढीली क्यों है
सब कुछ मेरा लूट लिया है
मोहन आधी रात के बाद

दरवाजे पर साफ़ लिखा है
अंदर आना सख्त मना है
दरवाजे पर साफ़ लिखा है
अंदर आना सख्त मना है
फिर भी तुम चले आते कन्हैया
आँगन आधी रात के बाद

मोहब्बत वो चीज है
जो कभी कम नहीं होता
जिसके पास है ये दौलत
उसको कभी गम नहीं होता

प्यार में ऐसी चोटें खायी
दिल का नगीना टूट गया
जिनके सहारे हम जिन्दा थे
उनका सहारा छूट गया

आयी तबस्सुम तेरे लबो से
होठ हिले आबाद हुई
आँख से जोभी आंसू निकले
फर्श पे आके टूट गया

हजार फूल काम है एक दुल्हन को सजाने में
दो चार फूल ही बहुत है अर्थी को चढ़ाने में
हजार खुशिया काम है एक गम भुलाने में
एक गम बहुत है जिंदगी भर रुलाने को

प्यार में ऐसी चोटें खायी
दिल का नगीना टूट गया
जिनके सहारे हम जिन्दा थे
उनका सहारा छूट गया

जब जब हमको याद आते हो
मोहन आधी रात के बाद
सूना सूना सा लगता है
आँगन आधी रात के बाद

Leave a Comment