जस मछली का जीवन जग में जीवत है सब प्राणी
एक मछलिया जाल में फसकर सोये चादर तानी
करे नहीं प्रयास मुक्ति का
उसी में राजी माने , जीवत है सब प्राणी
जस मछली का जीवन जग में जीवत है सब प्राणी।।
दूजे मछली जाल में फसकर करती खींचा तानी
कियो प्रयास नहीं बहार आयो
हो गए पानी पानी, जीवत है सब प्राणी
जस मछली का जीवन जग में जीवत है सब प्राणी।।
तीसर मछली जाल में रहकर कभी हार नहीं मानी
कियो युक्ति मुक्ति का जल में
और कहलाये ग्यानी , जीवत है सब प्राणी
जस मछली का जीवन जग में जीवत है सब प्राणी।।
चौथी मछली चतुर सयानी इसकी सुनो कहानी
जाल के पास गए नहीं कबहुँ
बरते सदा सावधानी,जीवत है सब प्राणी
जस मछली का जीवन जग में जीवत है सब प्राणी।।
दुनिया सागर जीव मछलिया माया जाल लुभानी
चौथे सा जीवन को जी लो क्यों माया लिपटानी
जीवत है सब प्राणी
जस मछली का जीवन जग में जीवत है सब प्राणी।।
जान बूझकर भी क्यों प्राणी करता है नादानी
“फड़ी” का कहा अगर मानोगे रहे ना आनी जानी
जस मछली का जीवन जग में जीवत है सब प्राणी।।
सिंगर -धीरज कांत जी।