जंगल सा दृश्य हो गया बाज़ार देखिए

जंगल सा दृश्य हो गया बाज़ार देखिए

Jangal Sa Drashya Ho Gaya Bazaar Dekhiye

जंगल सा दृश्य हो गया बाज़ार देखिए
लहू से सना हुआ अखबार देखिये।।

जिन हाथो को चाहिए कागज़ दवात
उन हाथो को थमा दिया तलवार देखिये
जंगल सा दृश्य हो गया बाज़ार देखिए।।

इंसानियत मिटाने की तरकीब ना कोई
इंसानियत मिटाने का औजार बेचिये
जंगल सा दृश्य हो गया बाज़ार देखिए।।

देखा जब उनको पास से नफरत सी हो गयी
देखा जब उनको पास से नफरत सी हो गयी
उसने कहा था झांक कर उस पार देखिये
जंगल सा दृश्य हो गया बाज़ार देखिए।।

जंगल सा दृश्य हो गया बाज़ार देखिए
लहू से सना हुआ अखबार देखिये।।

सिंगर – धीरज कांत जी।।

Jangal Sa Drashya Ho Gaya Bazaar Dekhiye

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