काँटो लाग्यो रे सतसंगत में म्हारे खड़क रह्यो ओ दिन रात
Kaato Lagyo Re Satsangat Me Mhare Khadag Rahyo O Din Raat
एक घड़ी आधी घड़ी और आधी में पूणिआध,
तुलसी सतसंग संत की कटे करोड़ अपराध,
तपस्या बरस हजार की और सतसंग की पल एक,
तो ही बराबर ना तुले मुनि सुखदेव की विवेक।।
काँटो लाग्यो रे सतसंगत में म्हारे खड़क रह्यो ओ दिन रात,
काँटो लाग्यो रे सतसंगत में म्हारे खड़क रह्यो दिन रात।।
संत वृक्ष शब्द निज काँटों बिखरयो सतसंग रात,
वो दिल चुभ गयो और अंदर खटक भयो विख्यात,
काँटो लाग्यो रे सतसंगत में म्हारे खड़क रह्यो दिन रात।।
ध्रुव के लाग्यो प्रह्लाद के लागो नरसी मीरा रै साथ,
सही सुलतान भरतरी रै लाग्यो छोड़ राज वन जात,
काँटो लाग्यो रे सतसंगत में म्हारे खड़क रह्यो दिन रात।।
गणिका लाग गोपीचंद लागो करमा बाई रे साथ,
सैन भगत रै ऐसो लाग्यो रटे दिन और रात,
काँटो लाग्यो रे सतसंगत में म्हारे खड़क रह्यो दिन रात।।
नैणा नींद नहीं अन्न जल भावे दर्द घणों घबरात,
बीजल दास बण्यो बड़भागी और नहीं स्यूं आस,
काँटो लाग्यो रे सतसंगत में म्हारे खड़क रह्यो दिन रात।।
Kaato Lagyo Re Satsangat Me Mhare Khadag Rahyo O Din Raat
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