पिया चाहे प्रेम रस और राखा चाहे मान,
दो खड़ग एक म्यान में देखा सुना ना कान,
पिया पिया रस जानिए ने उतरे नहीं ख़ुमार,
नाम अमल माता रहे और पिए अमी रस सार।।
म्हारां सतगुरु आया मिजवान,
कैसे मैं जाऊं सासरिया,
सासरिया री मैं तो सासरियाँ,
म्हारा सतगुरु आया मिजवान,
कैसे मैं जाऊं सासरिया।।
घणा दिना को म्हारो बुलावो,
सतगुरु आया आज,
छोड़ियां म्हाने माल खजीना,
छोड़ियो राणा को दरबार,
कैसे में जाऊं सासरिया,
म्हारा सतगुरु आया मिजवान,
कैसे मैं जाऊं सासरिया।।
सतगुरु से म्हारी प्रीत लगी है,
सतगुरु चतुर सुजान
छोड़ देंगे महल माळिया,
छोड्या राणा जी को हाथ
कैसे में जाऊँ सासरियाँ,
म्हारा सतगुरु आया मिजवान,
कैसे मैं जाऊं सासरिया।।
नाँव पड़ी मझधार में रै,
इत उत झोला खाए,
सतगुरु जी ने टल्ला मारिया,
हो गई भव से पार,
कैसे में जाऊँ सासरियाँ,
म्हारा सतगुरु आया मिजवान,
कैसे मैं जाऊं सासरिया।।
बाई मीरा की विनती,
सुण लो सिरजनहार
गुरु मिल्या म्हारे रविदास जी,
कुल का तारण हार,
कैसे में जाऊँ सासरियाँ,
म्हारा सतगुरु आया मिजवान।।