कण कण में माँ की सत्ता चाहे दिल्ली हो कलकत्ता

कण कण में माँ की सत्ता
चाहे दिल्ली हो कलकत्ता

माँ आसमान चन्द्रमा में
माँ ब्रह्मा लोक और ब्रह्मा में
माँ मुरली और मोहन में
माँ मथुरा में और मधुबन में
बिना इसके हिले न पत्ता

कण कण में माँ की सत्ता
चाहे दिल्ली हो कलकत्ता।।

माँ माला में और मोती में
माँ मन्नत और मनौती में
माँ मुसलमान और मस्जिद में
माँ मक्का और मोहम्मद में
जहां लोक झुकाते मत्था

कण कण में माँ की सत्ता
चाहे दिल्ली हो कलकत्ता।।

माँ राम श्याम भगवानो में
माँ मंदिर और मकानों में
माँ मिश्री में और माँ माखन में
माँ हनुमान और लक्ष्मण में
क्या झूठ अनाड़ी लिखता
चाहे दिल्ली हो कलकत्ता।।

कण कण में माँ की सत्ता
चाहे दिल्ली हो कलकत्ता।।

Kan Kan Mein Maa Ki Satta
Chahe Delhi Ho Kalkatta

Maa Asamaan Chandrama Mein
Maa Brahma Lok Aur Brahma Mein

Maa Murali Mein Aur Mohan Mein
Maa Mathura Mein Aur Madhuban Mein

Bina Iske Hile Naa Patta
Chahe Delhi Ho Kalkatta

Kan Kan Mein Maa Ki Satta
Chahe Delhi Ho Kalkatta

Maa Mala Mein Aur Moti Mein
Maa Mannat Aur Manauti Mein
Maa Musalmaan Aur Masjid Mein
Maa Makka Aur Mohammad Mein

Jaha Log Jhukate Mattha
Chahe Delhi Ho Kalkatta

Kan Kan Mein Maa Ki Satta
Chahe Delhi Ho Kalkatta

Maa Ram Shyam Bagawano Mein
Maa Mandir Aur Makano Mein
Maa Mishri Mein Aur Makhan Mein
Maa Hanuman Aur Lakshman Mein

Kya Jhooth Anadi Likhta
Chahe Delhi Ho Kalkatta

Kan Kan Mein Maa Ki Satta
Chahe Delhi Ho Kalkatta

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