खोल दो मुक्ति का द्वारा
राम अपना लो मुझे
आज ही दर पर बुला लो
कल पर ना टालो मुझे
सौ बरस की हो गयी
काय मेरी जार जारी
अब नहीं कटती प्रभु
जिंदगी काटो भरी
चिंता की जलती चिता
पर भस्म कर डालो
खोल दो मुक्ति का द्वारा
राम अपना लो मुझे
सुहाग की चुडिया
गिर गयी है टूट कर
मेरे हाल पे रो रही
दुनिया मुझको लूट कर
जग ने छोड़ा साथ मेरा
तुम भी आजमा लो मुझे
खोल दो मुक्ति का द्वारा
राम अपना लो मुझे
रुक रही धड़कन मेरी
बढ़ रही उलझन मेरी
तुमसे मिल ने को प्रभु
देखलो तड़पन मेरी
देके एक आदेश
यम को बुलवा लो मुझे
खोल दो मुक्ति का द्वारा
राम अपना लो मुझे
जिंदगी की जंग में हार है कही जीत है
उम्र भर जो साथ दे वो ही सच्चा मित्र है
अब तो बे रोगी जहां से अलविदा करदो मुझे
खोल दो मुक्ति का द्वारा
राम अपना लो मुझे
आज ही दर पर बुला लो मुझे
कल पर ना टालो मुझे