क्या भरोसा है इस ज़िंदगी का
साथ देती नहीं यह किसी का
सांस रुक जाएगी चलते चलते,
शमा बुज जाएगी जलते जलते ।
दम निकल जायेगा रौशनी का ॥
क्या भरोसा है…
कोई कहता है माल खजाना है मेरा
कोई कहता है पुत्र परिवार है मेरा
मगर ये कोई नही कहता
कि कब्र ठिकाना है मेरा
हम रहे ना मोहोबत रहेगी,
दास्ताँ अपनी दुनिया कहेगी ।
नाम रह जाएगा आदमी का ॥
क्या भरोसा है…
दुनिया है इक हकीकत पुरानी,
चलते रहना है उसकी रवानी ।
फर्ज पूरा करो बंदगी का ॥
क्या भरोसा है इस ज़िंदगी का
साथ देती नहीं यह किसी का
सिंगर – मुकेश मीणा जी।