क्या ये तुमको पता है ओ बाबा
कितनी ग़मगीन ये शब् हुई है
तुमसे मिलने की चाह में आँखें
आंसुओं से लबालब हुई हैं
क्या ये तुमको पता है
ऐसी कोई भी ग्यारस नहीं थी
जिसपे मैं तुमसे मिलने ना आया
ek तो पहरा है पाबंदियों का
दूजा यादो ने बहुत रुलाया
याद आती है खाटू की गलियां
हमसे जो जुदा अब हुई हैं
तुमसे मिलने की चाह में आँखें
आंसुओं से लबालब हुई हैं
क्या ये तुमको पता है
कितने दिन वो हसी होते थे जब आते थे दर्शनों को
आज रोता है ये दिल अकेला ढूंढे कीर्तन भरी महफिलों को
न वो कीर्तन है ना हैं वो प्रेमी रात वीरान सी सब हुई हियँ
तुमसे मिलने की चाह में आँखें
आंसुओं से लबालब हुई हैं
क्या ये तुमको पता है
करदो रहमो करम खाटू वाले अपनी मोरछड़ी लेहराओ
अपने बिछड़े हुए प्रेमियों को अपने चरणों में फिर से बुलाओ
मिठे सतविंदर ये दूरी मेरी तुमसे मेरे रब हुई है
तुमसे मिलने की चाह में आँखें
आंसुओं से लबालब हुई हैं
क्या ये तुमको पता है