मुझपे अहसान है माँ जो तेरे सौ जनम मैं चूका न सकूंगा

चोट मुझको लगी दर्द तुझको हुआ
तेरी हर सांस ने मुझे माँ दुआ

लेती अपने सर सारी बलए मेरी
तेरी ममता ने जब मेरा माथा छुआ।।

तुमसे पहले कभी रब के आगे
सर मैं अपना झुका न सकूंगा
मुझपे अहसान है माँ जो तेरे
सौ जनम मैं चूका न सकूंगा
मेरी हर सांस है कर्ज है तेरा
मैं कभी ये भुला न सकूंगा।।

मुझपे अहसान है माँ जो तेरे
सौ जनम मैं चूका न सकूंगा
मेरी हर सांस है कर्ज है तेरा
मैं कभी ये भुला न सकूंगा।।

हो मेरी लम्बी उम्र के लिए रात दिन
मन्नतो वाले धागे पिरोती रहे
मेरे सपने पीला तेरी पलकों टेल
नींद अपनी खोटी रहे
चाँद शायद तुम्हे लाके दे दू
तेरी नींद मैं लाके दे न सकूंगा।।

तेरी आँखों में आंसू रहे तो
मैं कभी मुस्कुरा न सकुनगा
मेरी हर सांस है कर्ज है तेरा
मैं कभी ये भुला न सकूंगा।।

सबसे सबसे बड़ी है मैया मेरे वास्ते
ये जान भी देनी है तो देदू
मैं हँसके तेरे वास्ते
सबसे सबसे बड़ी है मैया मेरे वास्ते
मैं जानता हूँ तेरे कदमो में है जन्नत के रस्ते
माँ कसम तेरे कदमो से अपना माथा
छोड़ कर मंदिर से घर को
छोड़ कर मंदिर से घर को
किसी तीरथ को जा ना सकूंगा।।

मुझपे अहसान है माँ जो तेरे
सौ जनम मैं चूका न सकूंगा
मेरी हर सांस है कर्ज है तेरा
मैं कभी ये भुला न सकूंगा।।

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