ओ कान्हा अब आ जाओ

जो था गीता में वचन दिया,
काहे पूरा नहीं वो किया,
ओ कान्हा अब आ जाओ।।

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥

परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥

जो था गीता में वचन दिया,
काहे पूरा नहीं वो किया,
ओ कान्हा अब आ जाओ।।

जले पाप का हरषु दिया,
हुआ भक्तो का छलनी जिया,
ओ कान्हा अब आ जाओ।।

जो था गीता में वचन दिया,
काहे पूरा नहीं वो किया,
ओ कान्हा अब आ जाओ।।

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