राधे मन में है तू ही तू मेरे तन में भी तू

राधे मन में है तू ही तू मेरे तन में भी तू,
राधे मन में है तू ही तू मेरे तन में भी तू।।

राधे मन में है तू ही तू मेरे तन में भी तू,
राधे मन में है तू ही तू मेरे तन में भी तू।।

अर्जी करू मैं शीश झुका के,
बस एक ही सपना मेरा सजा दे,
अपने चरणों में ही हमको बसा ले,
राधे सपनो में ही तू ही तू मेरे अपनो में तू ही तू ।।

जैसे सागर बिना किनारा नहीं,
राधा रानी बिना मेरा श्यामा नहीं,
तेरी भक्ति में सारा जमाना हुआ,
कैसे करते हो कोई भी जाना नहीं,
तू जहां हैं मेरा ठिकाना वही,
राधे धड़कन में तू ही तू,मेरे तड़पन में तू ही तू
राधे मन में है तू ही तू मेरे तन में भी तू ही तू
राधे सपनो में ही तू ही तू मेरे अपनो में तू ही तू ।।

जब शामो सुबह तेरा नाम लिया,
सारे दुख दर्द को मैंने पार किया,
कोई तुम पे यकीन करे ना करें,
एक तू ही तो मेरा यार हुआ,
बस तुमको ही अपना मान लिया,
राधे जनम में तू ही तू मेरे कर्म में तू ही तू
राधे मन में है तू ही तू मेरे तन में तू ही तू
राधे सपनो में ही तू ही तू मेरे अपनो में तू ही तू ।।

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