साँसों का इक तारा बोले जय माता दी
मस्ती में जग सारा बोले जय माता दी
सूरज चंदा लाखो तारे द्वार तुम्हारे झुकते सारे
हर कोई जैकारा बोले जय माता की जय माता की
साँसों का इक तारा बोले जय माता दी।।
सोये भाग जगाने वाली बिगड़ी बात बनाने वाली
सूखे फूल खिलाने वाली माँ आंबे
ठंडी शीत गुफाओं वाली दया से भरी निगाहो वाली
अद्भुत आठ बुजाओ वाली माँ आंबे
ज्योति का उजियारा बोले जय माता की जय माता की
साँसों का इक तारा बोले जय माता दी।।
अकबर जिसके द्वार पे आया और सोने का छतर चडाया
महा दयालु है महामाया माँ आंबे
भगत जनों को तारने वाली दुष्ट जनों को मारने वाली
बिगड़े काज सवारने वाली माँ आंबे
गंगा की रस धारा बोले जय माता की जय माता की
साँसों का इक तारा बोले जय माता दी।।
जिसकी धरती जिसका अम्बर
जिसकी रचना सात समन्दर
वसी हूँ कण कण के अन्दर माँ आंबे
जिसकी है ये धुप और छाया
जिसने ये ब्रह्माण्ड रचाया
मौज में आके पलटे काया माँ आंबे
भगती का बंजारा बोले जय माता की जय माता की
साँसों का इक तारा बोले जय माता दी।।