साँवरिया मन भाए गयो रे

साँवरिया मन भाए गयो रे

Sanwariya Man Bhaye Gayo Re

साँवरिया मन भाए गयो रे
साँवरिया मन भाए गयो रे।।

चित चोर मोरा चित चुराए गया रे,
साँवरिया मन भाए गयो रे,
साँवरिया मन भाए गयो रे।।

माखन चोर है चित को चुराता
सबके मन को ये है भाता।।

बंसुरिया अपनी बजाये गयो रे
साँवरिया मन भाए गयो रे।।

अपनी कला से मन सबका मोहे
इसकी अदा मैं बताऊ तोहे कैसे
साँवरिया मन भाए गयो रे।।

मोर मुकुट धारी बंसी बजैया
नाम है नटवर मुरली कन्हैया
बुचिया को अपने लुभाये गया रे
साँवरिया मन भाए गयो रे।।

साँवरिया मन भाए गयो रे
साँवरिया मन भाए गयो रे।।

इन कृष्णा भजन को भी देखे –

Leave a Comment