श्रीमन नारायण नारायण हरी हरी

श्रीमन नारायण जय जय नारायण स्वामी नारायण
श्रीमन नारायण नारायण हरी हरी
जय जय नारायण नारायण हरी हरी
स्वामी नारायण नारायण हरी हरी
तूँ है सब का मोहन प्यारे प्यारे हरी हरी
तुम देव हो तुम देव हो तुम देव हो
सबसे न्यारे न्यारे हरी हरी
श्रीमन नारायण नारायण हरी हरी
जय जय नारायण नारायण हरी हरी
स्वामी नारायण नारायण हरी हरी।।

देवकी नंदन हे जग वंदन मेरे भाग्य विधाता
अपने चरण का दास बना के मुक्ति दे सुख दाता
जाऊँ चरणों पे तेरे वारी वारी हरी हरी
श्रीमन नारायण नारायण हरी हरी।।

श्याम रंग में रूप तुम्हारा दिव्य सुदर्शन धारी
दर्शन से मन प्रसन्न होता तुम हो दशा अवतारी
कली खिल गई मन की सारी सारी हरी हरी
श्रीमन नारायण नारायण हरी हरी ।।

तुम सूरज हो तुम ही चन्द्रमा मेरे किशन कन्हईया
नंदन वन में तुमसा प्यारा कोई नहीं रास रचईया
तेरे खेल है सारे न्यारे न्यारे हरी हरी
श्रीमन नारायण नारायण हरी हरी।।

ब्रह्मा जी ने श्रिष्टी रची तुम बन गए पालनहारी
शँकर जी के भोलेपन की धुरा संभाली सारी
दुःख हो जाए हमसे परे परे हरी हरी
श्रीमन नारायण नारायण हरी हरी।।

पारस समझ के चरण छुए जो वो बन जाए सोना
राम तिहारी छिपा हुआ है सुंदर रूप सलोना
तूने सब के संकट हरे हरे हरी हरी
श्रीमन नारायण नारायण हरी हरी।।

हरी नाम से हार गए सब अविजित अत्याचारी
जीत सका न कोई भी तुमसे असुर अमंगलकारी
तेरे नाम से भागे दुःख सारे सारे हरी हरी
श्रीमन नारायण नारायण हरी हरी।।

मन से जोड़ लिया तुमको न रहा कोई मन में उदासी
ना मा मिट गई काहे सब को सुख शांति अविनाशी
दिल तेरे ही नाम से भरे भरे हरी हरी
श्रीमन नारायण नारायण हरी हरी।।

हमने देखा तो यही लगा तेरे चरणों में है
मेरी ही जगह मेरी ही जगह l
पर मैं सोचा तो यह जाना बिन तेरे
यहाँ पर कोई न सगा कोई न सगा
तूँ ही प्रेम की वर्षा करी करी हरी हरी
श्रीमन नारायण नारायण हरी हरी।।

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