और नहीं कुछ भी मैं चाहूँ
श्याम तेरा साथ मैं पाऊँ।।
बिन बाती ज्यूँ दीपक सूना
वैसे ही मैं तुझ बिन हूँ ना
तेरे विरह की पीर सही ना
बिन तेरे बनवास बिताऊं
श्याम तेरा साथ मैं पाऊँ।।
जब सोऊँ सपनो में आओ
पलकों में हे श्याम समाओ
हर्ष तेरा दीदार कराओ
मन आँखों से दर्शन पाऊं
श्याम तेरा साथ मैं पाऊँ।।