सीताराम की जोरी शोभित सीताराम की जोरी शोभित
रतन सिंहासन आनंद दायिन मधुर मधुर रस बोरी
सुख सुषुमा श्रृंगार की आकरि मधु वर्षत चहुँ ओरी
आत्मा कर्षनि हिय को हारिणि मन मोहनि चित चोरी
छत्र लिये लछिमन भल भ्राजत प्रष्ट भाग बनि भोरी
दक्षिण भरत चमर लिए राजत सुफल मनोरथ होरी
रिपुहन बायें विजन डोलावत राम रंग सुख सोरी
जनक सुवन लै मुकुर विराजत संमुख प्रीति अथोरी
पवन तनय पद चौकी पासहिं सोहत दोउ कर जोरी
निश्चर पति सुग्रीव भालुपति अंगद लखि प्रभु कोरी
हर्षण राजि रहे कोणा दिषु सुधि बुधि भव ते छोरी