संवरियो जादू कर गयो मे क्या करू

लकड़ी जल कोयला भीने कोयला जल भी राखमैं विरहण ऐसी जालीना कोयला भी ना राख ।। संवरियो जादू कर गयो मे क्या करूरे कानुडो कामन कर गयो मैं क्या करू।। हलरी दुलरी और पंचलरी अरे बाजूबंद नगीनाअंगिया की कस टूटन लागी आवे अंग पसीना।। अरे भर घडो सागर से चाली सूरज अर्ग मोह दिनाबृंदावन की … Read more