मंगल भवन अमंगल हारी – सुंदर कांड
.मंगल भवन अमंगल हारी – सुंदर कांड Mangal Bhavan Amangal Haari – Sundar Kand मंगल भवन अमंगल हारीद्रब हू सो दशरथ अजीर बिहारी जांवंत के वचन सुहएसुनी हनुमंत हरदे आती भाए तब लगी मोहि पारिखि तुम भाईसही दुख कांड मूल फल खाए जब लगी आमौ सितही देखीहोहि काज मोहि हर्ष विशेखी यह कही नाही सबाहु … Read more