श्री राम चंद्रा जी की आरती
श्री राम चंद्रा जी की आरती लिरिक्स श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन हरण भवभय दारुणं ।नव कंज लोचन कंज मुख कर कंज पद कंजारुणं ॥१॥ कन्दर्प अगणित अमित छवि नव नील नीरद सुन्दरं ।पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि नोमि जनक सुतावरं ॥२॥ भजु दीनबन्धु दिनेश दानव दैत्य वंश निकन्दनं ।रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल चन्द दशरथ नन्दनं … Read more