अपने नटखट कान्हा को मैया क्यों न समझावे
तेरो कान्हा बडो हठीलो यमुना तट पे उधम मचावे
कान खोल कर सुन ले मैया बिगड़ गया नन्द लाला
कमरे में बंद करके मैया बाहर लगा दे ताला
जब भूखो प्यासों रहेगो दिन भर होश ठिकाने आवे
तेरो कान्हा बडो हठीलो यमुना तट पे उधम मचावे
पनघट पे माँ तेरा लाडला करता है बार जोरी
फोड़ दी मटकी कान्हा ने बहियाँ पकड़ मरोड़ी
गारी देकर बोले रे मैया तनिक नही शरमावे
तेरो कान्हा बडो हठीलो यमुना तट पे उधम मचावे
भीम सेन से पुछो माँ इसकी करतुते सारी
तेरे कन्हिया से तंग आई सारी ब्रिज की नारी
चीर चुरा के चुपके से ये कदम पे बैठ्यो पावे
तेरो कान्हा बडो हठीलो यमुना तट पे उधम मचावे