तुझे कैसे सजाऊँ प्रभु तूने दुनिया सजाई है
तेरी रचना क्या मैं लिखूं तूने सृष्टि रचाई है
सेवक मैं तुम्हारा हूँ स्वामी तू मेरा है
चलती हुई साँसों पे अधिकार भी तेरा है
तुमने तो सदा मुझ पर खुशियां बरसाई हैं
तेरी रचना क्या मैं लिखूं तूने सृष्टि रचाई है
तुझे कैसे सजाऊँ प्रभु।
तुम ही तो कर्ता हो जग पालनहारी हो
श्याम कृपा उसे मिलती जो शरण तुम्हारी हो
जो तेरा बन जाए यही सच्ची कमाई है
तेरी रचना क्या मैं लिखूं तूने सृष्टि रचाई है
तुझे कैसे सजाऊँ प्रभु।
तेरी महिमा को कोई जग में नहीं जान सका
सब वेद पुराण थके ज्ञानी का ज्ञान थका
लीला गोपाल तेरी मेरे समझ ना आई है
तेरी रचना क्या मैं लिखूं तूने सृष्टि रचाई है
तुझे कैसे सजाऊँ प्रभु।