यह कल कल छल छल बेहती क्या कहती गंगा धारा

यह कल कल छल छल बेहती,
क्या कहती गंगा धारा,
युग युग से बेहता आता,
यह पुण्य प्रवाह हमारा,
यह पुण्य प्रवाह हमारा।।

हम इसके लघुतम जल कण,
बनते मिटते है कण कण,
अपना अस्तित्व मिटा कर,
तन मन धन करते अर्पण,
बढते जाने का शुभ प्रण,
प्राणों से हमको प्यारा,
यह पुण्य प्रवाह हमारा,
यह पुण्य प्रवाह हमारा।।

यह कल कल छल छल बेहती,
क्या कहती गंगा धारा,
युग युग से बेहता आता,
यह पुण्य प्रवाह हमारा,
यह पुण्य प्रवाह हमारा।।

इस धारा में घुल मिलकर,
वीरों की राख बही है,
इस धारा मे कितने ही,
ऋषियों ने शरण गहि है,
इस धारा की गोदी में,
खेला इतिहास हमारा,
यह पुण्य प्रवाह हमारा,
यह पुण्य प्रवाह हमारा।।

यह कल कल छल छल बेहती,
क्या कहती गंगा धारा,
युग युग से बेहता आता,
यह पुण्य प्रवाह हमारा,
यह पुण्य प्रवाह हमारा।।

यह अविरल तप का फल है,
यह राष्ट्र प्रवाह का प्रबल है,
शुभ संस्कृति का परिचायक,
भारत माँ का आचल है,
यहा शास्वत है तिर जीवन,
मर्यादा धर्म हमारा,
यह पुण्य प्रवाह हमारा,
यह पुण्य प्रवाह हमारा।।

क्या उसको रोक सकेंगे,
मिटने वाले मिट जाये,
कंकर पत्थर की हस्ती,
क्या बाधा बनकर आये,
ढह जायेगें गिरी पर्वत,
कांपे भूमण्डल सारा,
यह पुण्य प्रवाह हमारा,
यह पुण्य प्रवाह हमारा।।

यह कल कल छल छल बेहती,
क्या कहती गंगा धारा,
युग युग से बेहता आता,
यह पुण्य प्रवाह हमारा,
यह पुण्य प्रवाह हमारा।।

Singer – Prakash Mali

Yaha Kal Kal Chhal Chhal Bahati
Kya Kehti Ganga Dhaara

Yug Yug Se Behta Aata
Yah Punya Pravaah Hamara

Yaha Kal Kal Chhal Chhal Bahati
Kya Kehti Ganga Dhaara

Yug Yug Se Behta Aata
Yah Punya Pravaah Hamara

Hum Iske Nav Aachal Per
Bante Mitate Hai Kshad Kashad

Apna Astitva Mita Kar
Tan Man Dhan Karte Arpan

Badte Jaane Ka Subh Kshad Humko
Prano Se Humko Pyara
Yah Punya Pravaah Hamara

Yaha Kal Kal Chhal Bahati
Kya Kehti Ganga Dhaara

Yug Yug Se Behta Aata
Yah Punya Pravaah Hamara

Iss Dhara Mein Ghul Mil Kar
Veero Ki Rakh Bahi Hai

Iss Dhara Mein Ktine Hi Rishiyo
Sharan Gahi Hai

Iss Dhara Ki Godi Mein
Khela Itihaas Hamara
Yah Punya Pravaah Hamara

Yaha Kal Kal Chhal Bahati
Kya Kehti Ganga Dhaara

Yug Yug Se Behta Aata
Yah Punya Pravaah Hamara

Yah Bhagirath Tap Ka Phal Hai
Yah Rastra Praavah Prabal Hai

Subh Sanskriti Ka Parichayak
Bharat Maa Ka Anchal

Yah Shashwat Hai Jeevan
Maryada Dharma Hamara
Yah Punya Pravaah Hamara

Yug Yug Se Behta Aata
Yah Punya Pravaah Hamara

Yaha Kal Kal Chhal Bahati
Kya Kehti Ganga Dhaara

Leave a Comment